3 Oct 2012

खामोश लम्हे...11

 
वक़्त मसलसल गुजर रहा था ...उसका गुजरना किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा जरूर होता है , मगर उसको तो गुजरना होता सो गुजर रहा था। वो सिर्फ गुजरना जानता है लौट के आना उसे मालूम नहीं। वो धीरे धीरे भानु के मस्तिष्क से रंजना की यादें कुरचने लगा। भानु ने थक हार कर अपने दिल से समझोता कर लिया। वो रंजना की यादों को दिल की किसी कोने मे छुपा, सीमा के साथ गृहस्थी की ज़िम्मेदारी निभाने लगा। लेकिन बावजूद इसके वो कभी कभार तन्हाइयों मे, दिल मे छुपी अपनी पहली मोहब्बत से रूबरू होता रहा। इस सबसे उसे हलकी उदासी के साथ एक रूहानी सुकून भी मिलता था। अपने पहले प्यार को की याद में आँसू बहाना उसका प्रायश्चित था, ऐसा करने पर उसे अपने सीने से कुछ बोझ कम होता अनुभव होता था।    

भानु ने सभी से अपने प्यार को छुपा के रखा। वर्षों तक सीने मे अपनी पहली मोहब्बत की यादों की कशक लिए फर्ज़ निभाता रहा। जिस वक़्त ने उसे उसके पहले प्यार से अलग किया उसी वक़्त ने उसके सिर से माँ-बाप का साया तक भी छीन लिया था। बिना माँ-बाप के अब उसे घर काटने को दौड़ता था। माँ-बाप के देहावसान के पश्चात भानु, सीमा और अपने बेटे रंजीत को अपने साथ दिल्ली ले गया।

भानु अस्पताल के वेटिंग हाल मे बैठा रिपोर्ट मिलने का इंतजार कर रहा था। समय के साथ उसके जेहन मे रंजना की यादें वक़्त की धूल से सनने लगी, मगर वो उन यादों को दिल के किसी कोने मे मरते दम तक सँजोये रखना चाहता था। आज उसका बेटा रंजीत 23 साल का हो गया था। कद काठी और शक्ल सूरत से वो भानु को उसकी जवान अवस्था की याद दिलाता था।  उसे पिछले साल एक कंपनी मे अच्छी पोस्ट पे नौकरी मिल गई थी और उसके दो माह बाद भानु ने रंजीत की शादी भी कर दी थी। क्योंकि उधर सीमा बीमार सी रहने लगी थी और अब वो घर का काम बड़ी मुश्किल से कर पाती थी। शनै शनै भानु अपनी जिम्मेदारियों से निजात पा  रहा था। मगर उसे सीमा की चिंता खाये जा रही थी।

 सीमा”, काउंटर से सीमा का नाम  पुकारा तो भानु उठकर उस तरफ बढ़ गया।

 आपक डॉक्टर से मिल लीजिये”, काउंटर के उस तरफ बैठी रिसेप्शनिस्ट ने भानु की तरफ रिपोर्ट का लिफाफा बढ़ाते हुये कहा।

 भानु डॉक्टर के रूम की तरफ बढ़ गया।

 बैठिए”, डॉक्टर ने उसके हाथ से रिपोर्ट लेते हुये कहा।

 आप से पैसेंट का क्या रिलेशन है

 जी , सीमा मेरी वाइफ़ है

 हूँ” , डॉक्टर के चेहरे पे चिंता के भाव देख भानु का दिल बैठने लगा।

 क...क्या बीमारी है डॉक्टर ?”

 देखिये मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है की आपकी पत्नी को ब्लड-कैंसर है, और अब वो आखिरी स्टेज में है।“, डॉक्टर ने बात पूरी करते हुये भानु के चेहरे  की तरफ देखा।

 अब उन्हे आराम की सख्त जरूर है। कैंसर का जहर उनके पूरे शरीर मे फ़ेल चुका है। अब इलाज से उनके जीवन की दिन और कम ही होंगे ,कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए बेहतर है जैसे भी बन पड़े आप उनकी खुश रखें और जीवन के इन आखिरी लम्हों मे उनके साथ रहें।

 भानु की आंखो में आँसू आ गए उसने अपना चश्मा हटकर बाजू से अपनी आंखे साफ की, और कुर्सी का सहारा लेकर उठने लगा। उसे को डॉक्टर की बात बहुत दूर से आती हुई महसूस हो रही थी। उसे कुछ साफ सुनाई नही दे रहा था। वो रिपोर्ट लेकर घर आया। सीमा को कुछ नहीं बताया और डॉक्टर के कहे अनुसार उसका ख्याल रखने लगा। उसने रंजीत और उसकी वाइफ़ सविता को सीमा की लाइलाज बीमारी से अवगत करा दिया था। सुनकर उसे बहुत दुख हुआ, मगर माँ को खुश रखने के लिए वो खून के घूंट पीता रहा।

 आखिर वो वक़्त भी आ गया जिसका डर सभी के दिल मे बसा था। सीमा सदा के उन सबको रोता छोड़कर कहीं दूर चली गई थी। उसकी मौत ने भानु को जैसे हिलाकर रख दिया था। सीमा की मौत के बाद भानु ने नौकरी से रिटायरमेंट ले लिया था। सीमा कोई मौत के एक साल बाद रंजीत की पत्नी सविता ने एक खूबसूरत बेटी को दिया। 

वक़्त उसको चोट देता और फिर खुद ही मलहम लगता। भानु इन दु:ख तकलीफ़ों को झेल कर पत्थर बन गया था। उसकी आंखो मे अब आँसू नहीं आते थे बल्कि एक मुर्दानगी सी छाई रहती थी। सीमा की मौत के चार साल बाद वो अपने बहू और बेटे को कहकर अपने गाँव आ गया। उसने उनको कहा की काफी दिन हो गए गाँव में गए , घर की हालत भी पता नहीं कैसी होगी। में कुछ दिन वहाँ रुककर वापिस आ जाऊंगा।

 रंजीत और सविता के लाख मना करने पर भी भानु अपने गाँव आ गया , जहां उसका बचपन बिता था। आज बहुत कुछ बदल चुका था गाँव में। घर पहुँचकर उसने घर का कोना कोना देखा। अपने अतीत की एक एक याद ताज़ा करने लगा। अपने पिता के कमरे मे देखा उनका हुक्का आज भी वहीं रखा था जहां बैठकर वो उसे गुड़गुड़ाया करते थे।

 वक़्त ने उसे फिर वहीं लाकर पटक दिया था जहां से उसने जीवन की शुरुआत की थी। आज जिम्मेदारियों से मुक्त होने पर उसका अतीत उसे दूर तक उन गहरे अँधेरों के उस पर ले जा रहा था जहां वो किसी को इंतजार करते छोड़कर आ गया  था, सदा के लिए...।
 

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