3 Oct 2012

खामोश लम्हे..2

कुछ देर पश्चात हिम्मत बटोर कर उसने इधर उधर से आश्वस्त होने के बाद  नजरें उन दो आंखो पे टीका दी जो काफी देर से उसे घूर  रही थी। बीब्लॉक मे दायें तरफ ग्राउंडफ्लोर के मकान के खुले दरवाजे के बीचोबीच, दोनों हाथ दरवाजे की दीवारों पर टिकाये एक लड़की रह रहकर उसकी तरफ देख रही थी। गौरा रंग, लंबा छरहरा बदन हल्के नारंगी रंग के सलवार सूट मे उसका रूप-लावण्य किसी को भी अपनी और आकर्षित करने की कूवत रखता था।

वह कुछ पल इधर उधर देखती और फिर किसी बहाने से भानु की तरफ बिना गर्दन को ऊपर उठाए देखने लगती जिस से उसकी बड़ी बड़ी आंखे और भी खूबसूरत नजर आने लगती। हालांकि दोनों के दरम्यान करीब तीस मीटर का फासला था मगर फिर भी एक दूसरे के चेहरे को आसानी से पढ़ सकते थे। भानु भी थोड़े थोड़े अंतराल के बाद उसको देखता और फिर दूसरी तरफ देखने लगता। लगातार आंखे फाड़के किसी लड़की को घुरना उसके संस्कारों मे नहीं था। मगर एक तो उम्र  और फिर सामने अल्हड़ यौवन से भरपूर नवयौवना हो तो विवशतायेँ बढ़ जाती हैं। इस उम्र में आकर्षण होना सहज बात है। नजरों का  परस्पर मिलन बद्दस्तूर जारी था। मानव शरीर मे उम्र के इस दौर मे बनने वाले हार्मोन्स के कारण व्यवहार तक मे अविश्वसनीय बदलाव आते हैं।उसीका नतीजा था की दोनों धीरे धीरे एक दूसरे से  एक अंजान से आकर्षण से  नजरों से परखते लगे। दोनों दिल एक दूसरे मे अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे थे। भानु ने पहली बार किसी लड़की की तरफ इतनी देर और संजीदगी से देखा था। जीवन मे पहली बार ऐसे दौर से गुजरते दो युवा-दिल अपने अंदर के कौतूहल को दबाने की चेष्टा कर रहे थे। धडकनों मे अनायास हुई बढ़ोतरी से नसों में खून का बहाव कुछ तेज़ हो गया। दिल बेकाबू हो सीने से बाहर निकलने को मचल रहा था।  दिमाग और दिल मे अपने अपने वर्चस्व लड़ाई चल रही थी। अचानक बढ़ी इन हलचलों के लिए युवा दिलों का आकर्षण जिम्मेदार था। दोनों उम्र के एक खास दौर से गुजर रहे थे जिसमे एक दूसरे के प्रति खिंचाव उत्पन्न होना लाज़मी है।


मगर यकायक सबकुछ बदल गया। अचानक लड़की ने नाक सिकोडकर बुरा सा मुह बनाया और भानु को चिढ़ाकर घर के अंदर चली गई। भानु को जैसे किसी ने तमाचा मार दिया हो उसे एक पल को साँप सा सूंघ गया। हड्बड़ा कर वो तुरंत वहाँ से अलग हट गया और कमरे के अंदर जाकर  अपने बेकाबू होते दिल की धडकनों को काबू मे करने लगा। वो डर गया था, उसे अपनी हरकत मे गुस्सा आ रहा था। क्यों आज उसने ऐसी असभ्य हरकत की ? वो सोचने लगा अगर कहीं लड़की अपने घरवालों से उसकी शिकायत करदे तो क्या होगा ? अजनबी शहर मे उसे कोई जानता भी तो नहीं। उसके दिमाग मे अनेकों सवाल उठ रहे थे। वो सोचने लगा की अब क्या किया जाए जिस से इस गलती को सुधारा जा सके। अचानक दरवाजे पे हुई दस्तक से वो बौखला गया और उसके पूरे शरीर मे सिहरन सी दौड़ गई। उसने चौंक कर दरवाजे की तरफ देखा। कुछ देर सोचता रहा और  अंत में मन मे ढेरों संशय लिए धड़कते दिल से वो दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
दरवाजा खुला सामने एक वयक्ति हाथ मे एक लिफाफा लिए खड़ा था।
आप रमेश बाबू के परिचित हैं ?“ आगंतुक ने पूछा
जी...जी हाँ , कहिए भानु ने हकलाते हुये जवाब दिया । रमेश भानु के भाई विजय के दोस्त का नाम था जिसको रेलवे की तरफ से ये क्वार्टर आवंटित हुआ था।
उन्होने ये खत आपको देने के दिया था।उसने लिफाफा भानु की तरफ बढ़ा दिया।  
हम लोग भी यहीं रहते हैंआगंतुक ने सामने के दरवाजे की तरफ इशारा करते हुये कहा।
किसी चीज की जरूरत हो तो बेहिचक कह देनाआगंतुक ने कहा और सामने का दरवाजा खोलकर घर के अंदर चला गया  ।

भानु ने राहत की सांस ली, दरवाजा बंद किया और अंदर आकर खत पढ़ने लगा। खत मे बिजली पानी से संबन्धित जरूरी हिदायतों के सिवा सामने के मकान मे रहने वाले शर्माजी से किसी भी तरह की मदद के लिए मिलते रहने को लिखा था । रमेश का पिछले महीने कुछ दिनों के लिए पास के शहर मे ट्रान्सफर हो गया था । दिनभर  भानु उस लड़की के बारे मे सोच सोच कर बैचेन होता रहा , वह हर आहट पर चौक जाता।
 

 

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